कितनी बार ऐसा हुआ है आप कुछ करना चाह रहे हो और कोई साथी साथ में न होने का कारण आपने वो नहीं किया। साथ में अगर कोई हो तो समय अच्छे से बीत जाता है रास्ता कब ख़तम हो जाता है पता नहीं चलता।
पर कभी क्या अपने इसे महसूस किया है की साथ पाने की आदत आपको खुद से दूर ले जाता है। आप खुद अकेले चल सकते हो , अकेले जो मन आये वो कर सकते हो।
हाँ पहले पहले अजीब लगेगा की आप रस्ते में अकेले चल रहे हो, ठेले में अकेले खड़े होके गोलगप्पे खा रहे हो , रेस्टोरेंट में अकेले बैठ के खुद के लिए समय निकल के कुछ समय अपने आप के साथ बिता रहे हो। तो ऐसा क्या ही अलग हो जायेगा थोड़ा सा और आत्मविश्वास आ जायेगा।
फिर कभी अकेले चलने में हिचकिचाहट नहीं होगी , मन नहीं घबराएगा और खुद के साथ कुछ समय बिताने को भी मिलेगा वरना इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी कहां किसको टाइम की वो खुद के साथ कुछ समय बिताये।
हम सब अक्सर किसी साथी को ढूंढा करते हैं , कभी साथ चलने के , कुछ सलाह मशवरा करने के लिए, कभी यूँही समय बिताने के लिए और भी काफी वजह हैं , जिसके लिए हम एक साथी को ढूंढते हैं, अब वह कोई भी हो सकता है, दोस्त, भाई- बहिन , घरवाले, कभी अनजाने में मिले व्यक्ति जो कुछ समय के लिए ही हमारे उस वक़्त के साथी बन जाते है।
जब हमारे साथ कोई होता है, जिससे हमारी खूब जमती है , तो उसके साथ न सफर का पता चलता है न समय का पता चलता है, बातों ही बातों में समय बीत जाता है ।
मैं खुद कई बार कुछ चीज़ें नहीं कर पायी , अब वैसे काफी काम अकेले ही करना ज्यादा सहूलियत भरा समझती हूँ पर कभी कभी नहीं कर पाती। खाने की शौकीन हूँ पर गोलगप्पे , चाट , बंद टिक्की , मोमोस ये सब खाने का मन करता है पर वही साथ में कोई न होने के कारण ये सब करना छोड़ देती हूँ पर ये भी है की जब साथ में कोई हो तो ये सब खाने का मजा अलग ही आता है।
पर कभी कभी हमें खुद को ही खुद का साथी बनाना चाहिए, अकेले ही किसी राह को पकड़ चल देना चाहिए, हाँ कभी कभी कुछ परेशानियां आ सकती है , आप रास्ता भटक सकते हो , फिर भी क्या हुआ, भटकोगे नहीं तो नहीं तो नयी मंजिल कहां से ढूंढोगे , नया रास्ता अपनाने की हिम्मत कहां से आएगी ।
we have to learn to walk alone, to spent some time with ourselves.
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