आज अखबार में मैने एक आश्चर्य कर देने वाली पंक्ति पढ़ी, पहले पढ़ी तो समझ न आया फिर तुरंत बाद ठीक से पढ़ी तो समझ आया की किताबों की दुनिया में कुछ ऐसी भी किताबें हैं, बात तो चली थी विश्व का अनोखा पुस्तकालय की। यह लंदन के विश्वविख्यात पुस्तकालय ‘ फॉयल्स की। जहां न जाने कितनी किताबें खरीदी और बेची जाती हैं। यह पुस्तकालय 9 एकड़ की जमीन में फैला हुआ , बहुत से विभिन्न वर्ग के लोग यहां अपना समय बिताते हैं , यह पूरा आर्टिकल आप हिंदुस्तान अखबार के रविवार को आने वाले फुरसत में कादम्बिनी पेज पर पढ़ सकते हैं।
तो बात यह है की एक बार दक्षिण अफ्रीका के एक खब्ती ग्राहक ने पत्र लिख कर मांग की कि उसे मनुष्य की खाल के पृष्ठों पर मानव रक्त से लिखी कोई पुस्तक चाहिए। तलाश करने पर फॉयल्स को बाइबिल की एक ऐसी पुरानी प्रति मिल गई और उन्होंने उसे ग्राहक को भेज दिया।
अब मुझे ये रोचक लगा तो मैने आपके साथ साझा किया लिखने का मन तो मेरा किताबों के बारे में ही था तो आज उनके बारे पढ़ा तो शुरूवात भी इसी रोचक कथन से शुरू करने की सोची और कर भी ली।
किताबों के बारे में उन व्यक्तियों से बात करो जो किताबों की दुनिया में डूब से जाते हैं जिन्हे पन्ने पलटते समय उनकी खुशबू लेना अच्छा लगता हो, कोई लाइन अच्छी लगी तो उसे तुरंत अपनी बना ली और किताब पे उसके चारों और एक घेरा बनाके उसे सबका बना लिया। किताबों को पढ़ने की बस शुरूवात करनी होती उसके बाद एक अच्छी किताब आपको अपनी तरफ खींच ही लेती है। कब आप उस किताब के किरदारों में खो जाओगे और खुद को उनकी जगह पर खड़ा पाओगे ये होते ज्यादा देर न लगेगी।
किताबों की तो तासीर ही कुछ अलग होती है वो आपको अपने शब्दों की गरमाहट देती है, अपने शब्दों के अर्थों को बखूबी से समझती है और आपको अपने आगोश में जकड़ लेती है और आप खुद को एक महफूज से संसार में पाते हो, जहां आप, एक कहानी, एक कविता, उसके किरदार होते हो बस। किताबों के बारे में लिखने बैठो या उनके बारे में बात करने लगो तो समय कब निकल जायेगा आप खुद नही जान पाओगे , जरा एक बार किताबों को आजमा के देखना , में यह यकीन से के सकती हूं की आप उसके बाद मेरी बातों से इतिफाक जरूर रखेंगे।
तब तक आपकी अपनी जिज्ञासा
इस पेज का नाम भी इसी नाम से बना हुआ मनः जिज्ञासु
मन में चल रही सारी जिज्ञासा को एक लेखन के माध्यम से आपके सामने लाना। आशा है आपको पसंद आएगा।