क्या लालच इतनी बुरी बला है ?

लालच एक बुरी बला है ये तो सबने ही सुना ही होगा ,और सबको बताया भी होगा। मैं तो कहती हूँ समझदारी से सोच समझके बेवकूफी करना और सब बर्बाद कर देना भी लालच की एक परिभाषा है। और उस समय आप हर खतरा लेने को तैयार रहते हैं और कहीं न कहीं ये भी तय रहता है की इसमें हार है पर फिर भी।

पर ये लालच आता क्यों हैं ऐसी कोनसी परिस्थितिया रहती होंगी जिसमे आप लालच में फंस जाते हैं और फिर बचा कुछ जो भी होता है उसे भी डूबा देते है। ज्यादा है और ज्यादा की चाहत लालच को बढ़ावा देती है या कम है और उसे बढ़ाने की चाहत लालच को बढ़ावा देती है। शायद कम वाली परिस्थिति ज्यादा समझने वाली है। कम है या नहीं के बराबर है और वो काम करना जिससे नुक्सान होने की सम्भवना बहुत अधिक है और फिर भी आप सोच समझ के उस दलदल में जाते हो और बाहर तभी आते हो जब सब लूट जाता है।

ज़िन्दगी में कभी न कभी आपने लालच जरूर किया होगा कुछ को संतुष्टि मिली होगी , कुछ लोग पछ्तावे में रहे होंगे और कुछ ये सोच के आगे बढे की एक नया किस्सा बना , नया रोमांच हुआ। तभी तो लालच जिंदगी का तथ्य है क्योंकि कभी न कभी किसी न किसी तरह से हर कोई इस लालच के चंगुल जरूर फंसा होगा। पैसों का लालच, अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए ज्योतिषी से लिया गया उपाय, लाइफ में जो नहीं करने की कोई उम्मीद थी वो भी करना और बाद में सोचना की ये सब करने की जरुरत क्या थी।

अकल तो बाद में आ ही जाती है जब नुक्सान हो जाता है , या पता चल जाता है की अब एक बार हो गया जो होना था सबक सीख अब आगे से दुबारा नहीं होगा। लालच में कहूँगी एक साहसपूर्ण कार्य है।

लालच से आप क्या समझते हैं ? एक बुरी आदत , जो लाइफ को बर्बाद कर देती है आपको वो करने पर मजबूर कर देती है जो कभी आप नहीं करने वाले थे पर कुछ ऐसी परिस्थियों में फंस जाने से जो आपको इतनी बुरी भी नहीं लगती वरन अच्छी ही लगती हो तभी आप उसे और बढ़ाने और उसके करीब जाने के कारण लालच में फंस जाते है। लालच को वैसे हमने हमेशा पैसे से ही जोड़ के देखा है , अच्छे अच्छों की लुटिया डूबा देती है। पर हमें हमेशा लालच को पैसे से ही क्यों जोड़ा जाए , लालच के पर्यायवाची शब्द तृष्णा , कुछ पाने की तीव्र इच्छा, उत्सुकता , आतुरता , लोभ आदि है।

लोभ तो मनुष्य जीवन में आकर हर किसी को होता ही है , अच्छी नौकरी पाने का लोभ, अच्छे घर संसार का लोभ , अपने मनपसंदीदा व्यक्ति को पाने की चाह, थोड़ा और होने की चाह तो ये सब क्या गलत है , ये सब तो आपको मनुष्य होने का अहसास दिलवाती है , अगर किसी चीज़ का लोभ ही न हो , थोड़ा लालच ही न हो तो व्यक्ति कभी किसी चीज़ के लिए लड़ेगा ही नहीं , मेहनत ही नहीं करेगा , कभी जोखिम लेने की नहीं सोचेगा।

अगर ये सब जीवन में नहीं किया तो हार क्या है जीत क्या है , कुछ पाने की ख़ुशी कुछ खोने का दुःख , नए अनुभवों को जानने का अनुभव कैसे मिलेगा , साधारण सा जीवन जीके ऐसे कौन से किस्से बना लेगा , जब तक आप दूसरों पर भरोसा करके उनसे बात नहीं करोगे तो दोस्त कैसे बनाओगे , उनसे जुड़े किस्से कैसे सुनोगे या फिर अपने किस्से किसे सुनाओगे।

मैं तो कहती हूँ जीवन में लालच करना भी आना चाहिए , पैसों का लालच करके उसको बढ़ाया या डूबाया , पर इससे ये पता तो चलेगा की क्या सही है क्या गलत।

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